Thursday, December 26, 2013

बटरफ्लाई स्प्रेड


बटरफ्लाई स्प्रेड दो तरह से प्रयोग में आती है।

शोर्ट बटरफ्लाई: जब इनवेस्टर को बेंचमार्क इंडेक्स के मूवमेंट का थोड़ा बहुत (स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल की तरह तुक्केबाजी नहीं)अंदाजा होता है तो वो शोर्ट बटरफ्लाई स्ट्रैटेजी बनाते हैं। इसमें एक ही स्ट्राइक प्राइस 'एक्स'के दो कॉल ऑप्शन खरीदे जाते हैं। उसके बाद एक कॉल 'वाई'(एक्स से नीचे)और एक 'जेड'(एक्स से ऊपर)पर बेची जाती है। इसमें मैक्सिमम प्रॉफिट तब मिलता है,जब अंडरलाइंग 'वाई'या 'जेड'पर या उससे नीचे या ऊपर बंद होता है। इसमें मक्सिमम लोस तब होता है,जब अंडरलाइंग एक्स के आस-पास बंद होता है।


लॉन्ग बटरफ्लाई: सिंपल लॉन्ग बटरफ्लाई में ट्रेडर 'एक्स'स्ट्राइक रेट वाले दो ऑप्शन बेचता है और शोर्ट बटरफ्लाई के उलट 'वाई' और 'जेड'स्ट्राइक रेट वाले ऑप्शनस खरीदता है। ऐसी स्ट्रैटेजी में वोलैटिलिटी घटने से अंडरलाइंग के 'एक्स'के एकदम पास सेटल होने पर फायदा होता है। इसमें मैक्सिमम प्रॉफिट अंडरलाइंग के 'एक्स'के आस-पास एक्सपायर होने पर होता है। मैक्सिमम लोस अंडरलाइंग के 'वाई'और 'जेड' से परे सेटल होने पर होता है। बटरफ्लाई कम कॉस्ट स्ट्रैटेजी होती है क्योंकि ऑप्शन की खरीददारी के लिए चुकाए गये प्रीमियम की भरपाई सेल से हो जाती है।

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