Sunday, December 29, 2013
किन कंपनियों को ब्लूचिप का दर्जा मिलता है?
शेयर बाजार की दुनिया में आम तौर पर बड़ी कंपनियों को ब्लूचिप माना जाता है लेकिन हमेशा यह सही नहीं होता। मोटे तौर पर अपने देश में बीएसई-30 सूचकांक में शामिल कंपनियों को ब्लूचिप माना जाता है क्योंकि बाजार पूंजीकरण के हिसाब से ये कंपनियां काफी आगे रहती हैं। लेकिन दुनिया के अन्य देशों में गुणवत्ता के हिसाब से भी कंपनियों को ब्लूचिप माना जाता है।
Thursday, December 26, 2013
बटरफ्लाई स्प्रेड
बटरफ्लाई स्प्रेड दो तरह से प्रयोग में आती है।
शोर्ट बटरफ्लाई: जब इनवेस्टर को बेंचमार्क इंडेक्स के मूवमेंट का थोड़ा बहुत (स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल की तरह तुक्केबाजी नहीं)अंदाजा होता है तो वो शोर्ट बटरफ्लाई स्ट्रैटेजी बनाते हैं। इसमें एक ही स्ट्राइक प्राइस 'एक्स'के दो कॉल ऑप्शन खरीदे जाते हैं। उसके बाद एक कॉल 'वाई'(एक्स से नीचे)और एक 'जेड'(एक्स से ऊपर)पर बेची जाती है। इसमें मैक्सिमम प्रॉफिट तब मिलता है,जब अंडरलाइंग 'वाई'या 'जेड'पर या उससे नीचे या ऊपर बंद होता है। इसमें मक्सिमम लोस तब होता है,जब अंडरलाइंग एक्स के आस-पास बंद होता है।
स्ट्रैंगल स्ट्रैटेजी
जब मार्केट में बहुत ज्यादा उतार-चढाव होने के आसार होते हैं तो ट्रेडर स्ट्रैंगल स्प्रेड बनाते हैं। यह स्ट्रैटेजी स्ट्रैडल की तरह ही होती है,लेकिन इसमें पुट ऑप्शन का स्ट्राइक रेट कॉल ऑप्शन से कम होता है। दोनों ही ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग एसेट की वैल्यू से क्रमश: थोड़ा नीचे और थोड़ा ऊपर होते हैं।
Tuesday, December 24, 2013
स्ट्रेडल स्ट्रेटेजी क्यों अपनाई जाती है?
यह स्ट्रेटेजी तब अपनाई जाती है,जब किसी घटना से मार्किट में जोरदार तेजी या मंदी का रुझान बनने के आसार होते हैं। ऐसे में मार्केट के लोअर या हायर लेवल का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए ट्रेडर स्ट्रेडल स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। इसमें आमतौर पर एक ही स्ट्राइक प्राइस वाले एक ऐट द मनी कॉल और एक पुट ऑप्शन ख़रीदा जाता है।
वोलैटिलिटी स्ट्रैटेजी क्या होती है?
ट्रेडर डेरिवेटिव सेगमेंट में 'कॉल' और 'पुट' ऑप्शन के कॉम्बिनेशन के जरिये शेयर मार्किट में आने वाले उतार-चढ़ाव यानि वोलैटिलिटी पर दांव लगाते हैं।
यह स्ट्रैटेजी मार्किट में तेजी या मंदी पर डिपेंड नहीं करती है। इनका मकसद तो उतार-चढाव का फायदा उठाना होता है,जिसमें इंडेक्स या शेयर शामिल होते हैं। मार्किट के माहिर ट्रेडर इसके लिए इंडेक्स ऑप्शंस का इस्तेमाल इस्तेमाल करते हैं। हालांकि,यह शोर्ट टर्म स्ट्रेटेजी होती है क्योंकि ज्यादा वोलैटिलिटी से ऑप्शन की वैल्यू यानी प्रीमियम में बढ़ोतरी होती है।
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